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Sunday 15 November 2015

तोड़ देते है लोग, दिल किसी बहाने से....


तोड़ देते है लोग, दिल किसी बहाने से
अब तो डरता हूँ मैं, अपनों से दिल लगाने
निभाना था ही नही,फिर किया क्यों वादा था ,
मिलता क्या है, किसी हमदर्द को रुलाने से,
अपने हो जाते है खफ़ा, क्यों ये मालूम नहीं,
बाज आते नही क्यों लोग, अब सताने से ,.
काम पूरा जो हुआ फिर, तो भुला देते हैं ,
बस यही एक शिकायत है इस ज़माने से ,.
अब न कोई लेके दवा, इस जहाँ में बैठा है ,
डाल देते है नमक, जख्म को दिखाने से
मेरी ख्वाहिश है सभी लोग,. मिल के जुल के रहे
मिलता क्या है, बेकसूरों के मारे जाने से ,.
उसकी अच्छाई के चर्चे, जहाँ में जब से हुए ,
बाज आते नहीं है लोग, आजमाने से ,.
लोग कहते है कि, गज़लों को लिखते क्यों ? हो तुम
सुकून मिलता है , लोगो को सच सुनाने से...

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