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Thursday 12 May 2016

ग़म-ए-उल्फ़त के किस्से हर जगह गाये नहीं जाते...


ग़म-ए-उल्फ़त के किस्से हर जगह गाये नहीं जाते।
ये वो दौलत है जिसके जौहरी पाये नहीं जाते।।
मेरे ख़ामोश लब , आंखों के आंसू कुछ न बोलेंगे,
ये दिल के ज़ख़्म हैं साहब जो दिखलाये नहीं जाते।
मोहब्बत में मिले ग़म भी बड़े अनमोल होते हैं,
ये तोहफ़े हैं जवानी के जो ठुकराये नहीं जाते।
ग़मों से दोस्ताना है मेरी ग़ज़लों का मुद्दत से,
मैं कोशिश कर चुका हूँ दर्द के साये नहीं जाते।
मची है होड़ सी देखो मकाम -ए-अर्श पाने की,
शहर में नींव के पत्थर कहीं पाये नहीं जाते।
अग़र यह दिल बग़ावत पर उतर आया तो क्या होगा,
किसी भी शख्स पर इतने सितम ढाये नहीं जाते।
ग़मों ने चीज़ को 'नाचीज़' कर डाला मोहब्बत में,
गुज़ारे यूँ कई लम्हे कि बतलाये नहीं जाते।

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