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Thursday 19 November 2015

प्यार लिए कितने मतवाले बैठे हैं ..

प्यार लिए कितने मतवाले बैठे हैं ..
फिर भी कुछ तो नफ़रत पाले बैठे हैं ;
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आस यही है शायद मछली फँस जाये..
सब दरिया में काँटा डाले बैठे हैं ;...
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गंगा जल की चाह नहीं करता कोई..
सारे मदिरा पीने वाले बैठे हैं ;
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दो दो चेहरे लगते हैं सबके अब तो ..
तन के उजले मन के काले बैठे हैं ;
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तोड़ न देना तुम मेरे नाज़ुक दिल को..
हम आँखों में सपने पाले बैठे हैं ;
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जाने पहचाने से रस्ते- गलियाँ सब..
शह्र में सब कुछ देखेभाले बैठे हैं ;
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सुथरे-साफ़ घरो में अक्सर ये देखा ..
मन के भीतर कितने जाले बैठे हैं ..!!

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