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Wednesday, 18 November 2015

Zindgi Khwab Hai / जिंदगी ख्वाब है

रंगी को नारंगी कहे, बने दूध को खोया
 चलती को गाडी कहे, देख कबीरा रोया

जिंदगी ख्वाब है
ख्वाब में झूठ क्या और भला सच है क्या
सब सच है

दिल ने हम से जो कहा, हम ने वैसा ही किया
फिर कभी फुरसत से सोचेंगे, बुरा था या भला

एक कतरा मय का जब पत्थर के होठों पर पड़ा
उस के सीने में भी दिल धड़का, ये उस ने भी कहा

एक प्याली भर के मैंने गम के मारे दिल को दी
जहर ने मारा जहर तो मुर्दे में फिर जान आ गयी 

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